वैदिक रीति के अनुसार भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों और प्रसिद्ध मंदिरों मे करे श्री माँ बगलामुखी मंदिर के साथ पूजा
बगलामुखी सिद्ध पीठ मै की जाने वाली पूजा
कोर्ट कचहरी एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए बगलामुखी तंत्र युक्त यज्ञ
कोर्ट कचहरी एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए बगलामुखी तंत्र युक्त यज्ञ
पूजा के लाभ
शत्रुओं पर विजय
बगलामुखी, जिसे “दुश्मनों को शक्तिहीन बनाने वाली देवी” के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म की दस महाविद्या की आठवीं देवी हैं। इसमें दुश्मनों को निस्तब्ध कराने और स्थिर कराने की क्षमता है। इनके मूल मंत्र का 36,000 बार जाप करने वाले भक्तों को शत्रु से सुरक्षा के साथ उन्हें अपने आंतरिक भय से मुक्ति और साहस के साथ दुश्मनों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।
कोर्ट कचहरी में विजय
दस महाविद्याओं में से एक, माँ बगलामुखी कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं। माँ बगलामुखी को किसी भी तरह के कानूनी मामलों में जीत हासिल करने के लिए पूजनीय माना गया है। इस विशेष यज्ञ को करने वाले भक्तों को माँ बगलामुखी जीत का आशीष प्रदान करती हैं।
व्यापार वृद्धि पूजा व्यापार एवं करियर में सफलता के लिए
व्यापार वृद्धि पूजा
व्यापार एवं करियर में सफलता के लिए
पूजा के लाभ
व्यापार में सफलता के लिए
धन से व्यापार की सफलता व असफलता को आंका जाता है और धन की देवी होती हैं मां लक्ष्मी। माना जाता है कि माता लक्ष्मी यदि प्रसन्न हैं तो आपके घर या व्यापार में कभी धन की कमी नहीं होगी, इन्हें प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का दिन अत्यंत शुभ माना गया है, इसलिए इस शुभ दिन पर व्यापार वृद्धि पूजा में करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
करियर में प्रगति
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से करियर में आने वाली बाधाएं दूर होकर सफलता मिलती है, इसके अलावा नौकरी में नए अवसर मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इस शुभ दिन पर यह पूजा करने से माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर पदोन्नति एवं आमदनी के साथ जीवन में खुशहाली के आशीष प्रदान करती हैं।
पितृ शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति के लिए
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पितृ शांति एवं पारिवारिक क्लेश से मुक्ति के लिए
पूजा के लाभ
सर्व पूर्वजों की मुक्ति
इस महापूजा में कराने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष गति प्राप्त होती है। यह पूजा हरिद्वार के गंगा घाट में कराने से लाभकारी साबित होता है।कार्यक्षेत्र में प्रगति
इस महापूजा द्वारा पितरों के आशीष प्राप्त होते हैं, जिससे जातक के जीवन के आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक, व्यवसाय इत्यादि सभी क्षेत्रों में यश, सफलता की प्राप्ति होती है।वंश वृद्धि एवं शांति
पुराणों में कहा गया है कि, संतान की प्राप्ति पितरों के आशीष से होती है। यह महापूजा करने से अपने पूर्वजों के वरदान से शुभ संतान की प्राप्ति होती है, जिससे वंश में वृद्धि और पारिवारिक शांति का निर्माण होता है।तंदुरुस्त जीवन की प्राप्ति
पितृ दोष की वजह से परिवार में किसी ना किसी को शारीरिक या मानसिक बीमारी की शिकायत रहती है। इस पूजा द्वारा परिवार में आ रही शारीरिक या मानसिक बिमारियों से छुटकारा प्राप्त कर, तंदुरस्त जीवन प्राप्त होता है।
नृसिंह कवच स्तोत्र पाठ, 108 नृसिंह मूल मंत्र जाप और यज्ञ
नृसिंह कवच स्तोत्र पाठ, 108 नृसिंह मूल मंत्र जाप और यज्ञ
पूजा के लाभ
बाधाओं से मुक्ति
भगवान नृसिंह विष्णु के सबसे उग्र रूपों में से एक हैं, जो अपने भक्तों को सभी नकारात्मक एवं बुरी ऊर्जाओं से बचाते हैं। व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक शक्तियां कई बाधाएं उत्पन्न करती हैं। नृसिंह जयंती के शुभ दिन पर नृसिंह कवच स्तोत्र पाठ और 108 नृसिंह मूल मंत्र जाप करने से न केवल भक्तों के जीवन से बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इसके अलावा ग्रहों के दुष्प्रभाव, काला जादू एवं बुरी नजर भी दूर होती है।साहस एवं निर्भयता के लिएशास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के दिव्य अवतार भगवान नृसिंह की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के भय, चिंता एवं नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति मिलती है, इसके अलावा उन्हें निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है। नृसिंह जयंती के शुभ दिन पर 108 नृसिंह मूल मंत्र जाप करने से सभी प्रकार के भय एवं चिंताएं दूर हो जाती हैं। यह पूजा भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है। शत्रुओं से सुरक्षा नृसिंह जयंती के शुभ दिन पर इस विशेष पाठ एवं यज्ञ को करने से शत्रुओं का शमन होता है और उनकी बुरी साजिशों से भी सुरक्षा प्राप्त होता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की, उसी प्रकार संकट के समय भगवान नृसिंह का स्मरण करने से भक्तों को संकट से तुरंत राहत मिलती है। जो भक्त नृसिंह कवच स्तोत्र पाठ, 108 नरसिम्हा मूल मंत्र जाप और यज्ञ करते हैं, वे अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करते हैं और कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों में विजय होते हैं।
रिश्तों में खुशहाली और वैवाहिक क्लेश से मुक्ति के लिए
रिश्तों में खुशहाली और वैवाहिक क्लेश से मुक्ति के लिए
पूजा के लाभ
रिश्तों में खुशहाली एवं वैवाहिक क्लेश से मुक्ति
सीता अष्टोत्तर शतनामावली पाठ करने से विवाह में शांति, सद्भाव और खुशी आती है। महिलाएं अपने जीवन में शीलता और मातृत्व जैसे गुणों को प्राप्त करती हैं। इसके अलावा मान्यता है कि सीता जयंती पर माता सीता की अराधना करने से वैवाहिक सुख कि प्राप्ति होती हैं। इस विशेष पूजा को करने से भगवान राम के साथ-साथ मां सीता भी प्रसन्न होती हैं जिससे रिश्तों में शांति एवं खुशहाली का आशीष मिलता है।
पार्टनर की उन्नति के लिए
माँ सीता को उनकी पवित्रता, त्याग, समर्पण एवं धैर्य के लिए जाना जाता है। विवाहित महिलाएं मां सीता की पूजा कर वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का आशीष मांगती है। ऐसा माना जाता है कि सीता जयंती के शुभ दिन पर सीता अष्टोत्तर शतनामावली पाठ करने से उनके पति को लंबी आयु के साथ तरक्की का आशीष मिलता है।
बुरी शक्तियों से सुरक्षा
माता सीता को साहस का प्रतीक माना गया है। सीता जयंती के दिन अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करने से मन में सुरक्षा की भावना जागृत होती है। सीता माता के इस मंत्र से जातक के चारों ओर आत्मविश्वास का सुरक्षा कवच बन जाता है, जो जातक की हर परिस्थिति में सुरक्षा करता है।
विवाह में देरी एवं कलह से बचने के लिए
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विवाह में देरी एवं कलह से बचने के लिए
पूजा के लाभ
विवाह में विलंब से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल दोष होने से विवाह होने में काफी परेशानी होती है या देरी होती है। अगर विवाह हो भी जाता है तो विवाह के बाद भी वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता और कई तरह की परेशानियां जीवन में लगी रहती है। मंगल को एक उग्र ग्रह माना गया है, इसलिए कुंडली में इसके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मांगलिक दोष निवारण महापूजा, भात पूजा और श्री मंगलनाथ महाभिषेक अत्यंत लाभकारी माना गया है।
वैवाहिक जीवन में कलह से मुक्ति
कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति होने से या मांगलिक दोष के कारण पति पत्नी के बीच अनबन होने लगते हैं, कई बार तो इस अशुभ प्रभाव के कारण अलगाव कि स्थिति तक उत्पन्न हो जाती है। इन कलह से मुक्ति प्राप्त करने और वैवाहिक जीवन खुशहाल बनाने के लिए मंगलवार के विशेष दिन पर मांगलिक दोष पूजा कारगर साबित होती है।
प्रेम प्राप्ति
मांगलिक दोष के कारण रिश्तों में खटास आने लगती है, मनचाहे जीवनसाथी पाने की इच्छा अधूरी रह जाती है। ऐसे में अपने प्रेम को प्राप्त करने के लिए और रिश्ते में मधुरता लाने के लिए भगवान मंगल की पूजा का महत्व बताया गया है। मांगलिक दोष पूजा के माध्यम से मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को खत्म कर मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति, रिश्तों में मधुरता एवं सामंजस्य का आशीष मिलता है।